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भड़काऊ बयान देकर सांप्रदायिक माहौल खराब करने वाले कांग्रेसी नेताओं के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट ने मांगा जवाब, जनहित याचिका हुई थी दायर

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले बयानों पर संज्ञान लिया है। अदालत ने दुकानों के बाहर नाम लिखने के मामले में प्रदेश के गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), शिमला के पुलिस अधीक्षक और नगर निगम शिमला को नोटिस जारी किया है। जनहित याचिका में सरकार सहित लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह और देवभूमि जागरण मंच को भी पार्टी बनाया गया है। हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में अधिवक्ता विश्व भूषण ने अदालत को बताया कि सांविधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति गैरजिम्मेदारना बयानों से प्रदेश के भाईचारे को बिगाड़ रहे हैं। साथ में कुछ संगठनों की ओर सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डाले जा रहे हैं, जिससे लोगों के अंदर दूसरे धर्म के प्रति नफरत पनप रही है। इस मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की अदालत की खंडपीठ ने की। जनहित याचिका में आरोप लगाए गए हैं कि मंत्री विक्रमादित्य ने 26 सितंबर को बयान दिया था कि ढाबों और खाने-पीने का सामान बेचने वाली दुकानों के बाहर दुकानदार अपना नाम और पहचान लिखें। मंत्री अनिरुद्ध और अन्य संगठनों के विवादास्पद बयानों का हवाला भी जनहित याचिका में दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि मंत्रियों की ओर से की जा रही इस तरह की बयानबाजी से प्रदेश की शांति और कानून-व्यवस्था को खतरा हो रहा है। पिछले कुछ समय से धर्म के नाम पर प्रदेश का माहौल बिगाड़ा जा रहा है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने भी इस तरह के आदेश जारी कर दिए थे, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने खाने-पीने की दुकानों के बाहर नाम लिखने पर रोक लगा रखी है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि दुकानदार नाम लिखने को बाध्य नहीं हैं, जो खुद लिखना चाहें, वे लिखें। इस मामले की अगली सुनवाई अब तीन हफ्ते बाद होगी

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