21 जून 2025 की रात अमेरिका ने एक अभूतपूर्व सैन्य कार्रवाई करते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों "नतांज़, फ़ोर्डो और इस्फ़हान" पर हवाई हमला कर दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस हमले की पुष्टि करते हुए इसे “विस्फोटक सैन्य सफलता” बताया और कहा कि ये स्थान "पूरी तरह तबाह" कर दिए गए हैं।
🇮🇷 ईरान का जवाब: "हमारे पास सभी विकल्प खुले हैं"
ईरान ने इस हमले को “जघन्य अपराध” बताया है। ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका की यह कार्रवाई “स्थायी परिणामों” को जन्म देगी और तेहरान हर प्रकार की प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार है। ईरान ने अपने सैन्य कमांडरों को हाई अलर्ट पर डाल दिया है।
🌍 दुनिया की प्रतिक्रिया: अमेरिका की आलोचना, शांति की अपील
इस हमले को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारी हलचल है। कुछ अमेरिकी सांसदों और पूर्व अधिकारियों ने ट्रम्प के इस कदम की आलोचना की है, जबकि इज़राइल ने अमेरिका की कार्रवाई का स्वागत किया है। वहीं संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और चीन समेत कई देशों ने संयम बरतने और युद्ध से बचने की अपील की है।
🎯 हमले का लक्ष्य: भूमिगत परमाणु फैसिलिटी
इस हमले का मुख्य निशाना था फ़ोर्डो यूरेनियम संवर्धन सुविधा, जो एक पहाड़ के नीचे स्थित थी और अत्यधिक सुरक्षा वाली थी। अमेरिका ने बंकर बस्टर बमों का उपयोग कर इसे नष्ट किया। इसके अलावा, नतांज़ और इस्फ़हान में स्थित परमाणु प्रयोगशालाएं भी निशाने पर रहीं।
🧭 संभावित परिणाम: मध्य पूर्व में युद्ध का खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला क्षेत्रीय अस्थिरता को और भड़का सकता है। संभावना है कि ईरान अब इराक में मौजूद अमेरिकी ठिकानों या खाड़ी देशों में अमेरिकी सैन्य प्रतिष्ठानों पर मिसाइल या ड्रोन हमले कर सकता है। इसके अलावा, साइबर हमले और तेल के व्यापार मार्गों को बाधित करने की आशंका भी जताई जा रही है।
क्या होगी आगे की स्थिति?
अब वैश्विक समुदाय की नजरें ईरान की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। अमेरिका द्वारा उठाए गए इस कदम ने न केवल परमाणु समझौते को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है, बल्कि दुनिया को एक बार फिर पूर्ण युद्ध की दहलीज पर ला खड़ा किया है।