पुलिस भर्ती में HPPSC का बड़ा खेल? अदालत में सच्चाई आई सामने! सरकार-आयोग चुप कि कितने बच्चे किए आउट

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Rupansh Rana (Editor)

हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती में एक सवाल की answer key पर उठे विवाद ने पूरे चयन तंत्र की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाइकोर्ट में दायर याचिका में जहां अभ्यर्थी NCERT की किताब के आधार पर सीरीज D के 87वे सवाल का ऑप्शन ‘A’ को सही बता रहे थे, वहीं आयोग ने अदालत के सामने खुद स्वीकार किया कि उसके subject experts अब ऑप्शन ‘C’ को सही मानते हैं – लेकिन अभी तक यह नहीं बताया गया कि इस बदलाव की मार कितने अभ्यर्थियों पर पड़ी, किस तर्क पर पहले A रखा और बाद में C कर दिया, और revised merit list में कितने नाम अंदर–बाहर हुए।  

सवालों में उलझी भर्ती, जवाब से भागता आयोग  

इस केस में D सीरीज़ के Question 87 (जो A सीरीज़ के Question 57 के बराबर है) की provisional key में पहले ऑप्शन ‘A’ को सही दिखाया गया था। बाद में final key में कहानी बदली, option बदल गया और विवाद शुरू हो गया। नाराज़ अभ्यर्थियों ने writ petitions दायर कीं और NCERT Class 9 Mathematics Exemplar का हवाला देकर कहा कि आयोग ने किताब की अवधारणा से हटकर गलत option थोप दिया, जिससे उनके नंबर और merit दोनों प्रभावित हुए। सुनवाई के दौरान HPPSC की ओर से पेश वकील ने खुद कहा कि बड़ी संख्या में representations और writ petitions आने के बाद मामला subject experts के पास भेजा गया और experts ने अब ऑप्शन ‘C’ को सही माना है – यानी आयोग ने खुलकर स्वीकार किया कि पहले जो stand था, वह बदला जा रहा है।  

सरकार–आयोग की खामोशी: answer key ठीक, पर हिसाब–किताब गायब  

हाईकोर्ट ने आदेश में साफ कहा कि subject expert की राय के आधार पर final answer key revise की जाए और दो हफ्तों के भीतर सारे “consequential action” किए जाएँ – यानी नंबर बदले जाएँ, cut–off प्रभावित हो, merit list हिले और चयन–अचयन पर जो स्वाभाविक असर पड़ता है, उसे लागू किया जाए। सबसे बड़ा सवाल यह है कि HPPSC ने अभी तक सार्वजनिक रूप से यह नहीं बताया कि इस एक सवाल की key बदलने से कितने अभ्यर्थी cut–off से नीचे गए या ऊपर आए, कितने ऐसे candidate हैं जिनके नंबर घटाकर उन्हें सूची से बाहर किया गया और कितनों को ऊपर खींचा गया। यह भी नहीं बताया गया कि पहले A को सही मानने की क्या अकादमिक–कानूनी बुनियाद थी और अब C को सही ठहराने की ठोस तर्कसंगत रिपोर्ट क्या है, और क्या यह रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी या नहीं।  

युवाओं में गुस्सा, व्यवस्था पर अविश्वास  

पुलिस जैसी संवेदनशील सेवा के लिए हो रही भर्ती में एक–एक नंबर की लड़ाई अदालत तक पहुँच चुकी है, पर सरकार और आयोग की तरफ़ से न तो पूरी answer key–revision रिपोर्ट जारी की गई, न ही यह साफ किया गया कि कितने परिवारों का भविष्य इस “A से C” के खेल में फंसा हुआ है। भर्ती की पारदर्शिता पर भरोसा करने वाले युवाओं के मन में अब यह सवाल और गहरा हो रहा है कि क्या बिना पूरी academic नोटशीट और expert रिपोर्ट सार्वजनिक किए सिर्फ “experts ने C कहा है” बोल देना काफी माना जाएगा। अगर कल किसी और प्रश्न पर भी इसी तरह स्टैंड बदल दिया जाए, तो क्या हर बार अभ्यर्थी को ही writ लेकर कोर्ट की शरण में जाना पड़ेगा।  

सरकार और आयोग से कड़े सवाल  

अब ज़रूरी है कि सरकार और HPPSC खुलकर सामने आएँ और जनता व अभ्यर्थियों के सामने कुछ बुनियादी तथ्य रखें। Question 87/57 की answer key बदलने की पूरी नोटशीट, expert panel के नाम और उनकी reasoning, तथा revised merit पर पड़े संख्यात्मक असर को सार्वजनिक किया जाए। यह स्पष्ट किया जाए कि provisional key में A सही कैसे माना गया, final key बनाते समय क्या आधार रहा और अब C को सही ठहराने के लिए किन स्रोतों और expert opinions पर भरोसा किया गया। revised list से जिनका selection प्रभावित हुआ है, उनकी category–wise संख्या और स्थिति वेबसाइट पर साफ–साफ डाली जाए, ताकि “backdoor manipulation” की आशंका खत्म हो सके। भविष्य की भर्तियों में objection handling और answer key review को time–bound, reasoned orders और public disclosure से जोड़ा जाए, ताकि युवा फिर से सिस्टम पर भरोसा कर सकें। जब तक ये जवाब सामने नहीं आते, पुलिस भर्ती की इस परीक्षा पर “A से C” के इस बदलाव की छाया यूँ ही मंडराती रहेगी और अभ्यर्थी यही पूछते रहेंगे कि गलती किसकी थी और कीमत सिर्फ हम ही क्यों चुकाएँ।


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